


भारतीय सेना सैनिकों की भर्ती से जुड़ी अग्निपथ योजना में बदलाव करने पर विचार कर रही है। सेना इस बात पर विचार कर रही है कि तकनीकी रूप से कुशल और प्रशिक्षित सैनिकों का सही अनुपात कैसे रखा जाए। साथही, सेना में जवानों की औसत उम्र को भी कम रखना है। अग्निपथ योजना 2022 में शुरू हुई थी। तब से सेना समय-समय पर इसकी समीक्षा करती रही है। इस योजना के तहत सैनिक, वायु सैनिक और नौसैनिकों को चार साल के लिए भर्ती किया जाता है। सेना और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (DMA) के बीच कुछ बदलावों पर बातचीत हुई है, लेकिन अभी तक कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद अग्निवीरों को ज्यादा समय तक रखने पर चर्चा हो रही है। यह फैसला उनकी ट्रेनिंग, अनुभव और चार साल में हासिल की गई विशेषज्ञता के आधार पर होगा। ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीरों का प्रदर्शन बहुत अच्छा पाया गया। अग्निवीरों का पहला बैच 2026 के अंत तक अपना चार साल का कार्यकाल पूरा कर लेगा। योजना में बदलाव करने का फैसला उसी समय के आसपास होने की संभावना है।
अग्निवीरों के लिए सेना के नियम क्या हैं?
मौजूदा नियमों के अनुसार चार साल के बाद 25% तक अग्निवीर सेना में शामिल हो सकते हैं। यह उनकी योग्यता और संगठन की जरूरतों पर निर्भर करेगा। सूत्रों के अनुसार, सेना में इस प्रतिशत को बढ़ाने पर विचार चल रहा है। अलग-अलग विभागों में यह संख्या अलग-अलग हो सकती है। मसलन पैदल सेना और अन्य युद्धक शाखाओं के लिए अग्निवीरों को 70-75% तक रखने पर विचार हो रहा है। वहीं, एयर डिफेंस, सिगनल्स और इंजीनियर्स जैसे विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मियों के लिए यह आंकड़ा 80% तक हो सकता है। स्पेशल फोर्सेस के लिए 100% अग्निवीरों को रखने की बात चल रही है।